Site icon Maa Shakambhari

जब ठाकुर जी ने स्वयं जाकर चुकाया अपने भक्त का कर्ज़ा

नरसी मेहता और राग केदार: जब ठाकुर जी ने स्वयं जाकर चुकाया अपने भक्त का कर्ज़ा

परिचय

हिंदू धर्म में भक्ति मार्ग को सर्वोपरि माना गया है। जब कोई भक्त सच्चे मन से भगवान की उपासना करता है, तो भगवान स्वयं उसकी सहायता के लिए आते हैं। ऐसी ही एक अद्भुत कथा गुजरात के महान संत नरसी मेहता और उनके राग केदार से जुड़ी हुई है। यह कथा न केवल भक्ति की महिमा को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि भगवान अपने भक्त की परीक्षा तो लेते हैं, पर अंततः उसे कष्टों से मुक्त भी करते हैं।

इस कथा में हम जानेंगे कि कैसे एक निर्धन संत ने अपने भजन के बदले कर्ज़ लिया, और जब वे अपनी प्रिय साधना से वंचित हो गए, तो भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उनके उद्धार के लिए आए


नरसी मेहता: भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त

नरसी मेहता गुजरात के प्रसिद्ध संत और कृष्ण भक्त थे। वे हरि भजन और भक्ति संगीत के माध्यम से ठाकुर जी की आराधना किया करते थे।

🔹 नरसी मेहता की भक्ति की विशेषताएँ

जब भी नरसी मेहता मंदिर में बैठकर राग केदार गाते, तो चमत्कारिक घटनाएँ घटतीं:

इन घटनाओं के कारण नगरवासियों को विश्वास हो गया कि नरसी मेहता साक्षात ठाकुर जी के प्रिय भक्त हैं।


जब नरसी मेहता को धन की आवश्यकता पड़ी

हालाँकि नरसी मेहता भगवान के बहुत बड़े भक्त थे, लेकिन वे अत्यंत निर्धन थे। एक बार उन्हें घर के किसी काम के लिए धन की आवश्यकता हुई। उन्होंने नगर के एक धनवान सेठ से उधार माँगा।

सेठ का प्रस्ताव

कई दिनों तक उधार चुकाने में असमर्थ रहने के बाद, सेठ ने उनसे कहा:

“भाई, अगर तुम कर्ज़ नहीं चुका सकते, तो बदले में कुछ गिरवी रख दो!”

लेकिन नरसी मेहता के पास गिरवी रखने योग्य कुछ भी नहीं था – न कोई घर, न धन, न गहने।

तभी सेठ के मुनीम ने कहा:

“यह पूरे नगर में प्रसिद्ध है कि जब नरसी मेहता मंदिर में जाकर राग केदार गाते हैं, तो ठाकुर जी की माला गिर जाती है। इससे यह सिद्ध होता है कि राग केदार में कोई विशेष शक्ति है। इसलिए, जब तक कर्ज़ नहीं चुकाया जाता, तुम अपना राग केदार गिरवी रख दो!” इसे भी पढे और जाने- माँ शाकम्भरी देवी कौन हैं )

नरसी मेहता ने क्या किया?


भक्त की परीक्षा: क्या राग केदार में शक्ति थी?

कुछ समय बाद नगर में कुछ विद्वान और संदेह करने वाले लोग आए। वे यह देखने आए थे कि क्या सच में राग केदार गाने से ठाकुर जी प्रकट होते हैं?

परीक्षा की तैयारी

उन्होंने कई दूसरे राग गाए:
यमन राग
भैरव राग
भीम पलासी
जय जयवंती

लेकिन कुछ नहीं हुआ। ठाकुर जी की माला ज्यों की त्यों बनी रही।


जब ठाकुर जी स्वयं नरसी मेहता बनकर आए

नरसी मेहता ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की:

“हे ठाकुर जी! मुझे अपनी लाज कि चिंता नहीं है कि यदि आज आपकी लीला नहीं हुई तो मेरी लाज जाएगी नहीं नाथ मुझे उसकी तनिक भी चिंता नहीं है, लेकिन नाथ जो लोग यहाँ बैठे है उनका विश्वास भक्ति से उठ जाएगा। कृपया कुछ कीजिए!”

ठीक उसी समय, ठाकुर जी ने नरसी मेहता का रूप धारण किया और सेठ के पास जाकर सारा कर्ज़ चुका दिया! 

ठाकुर जी का अलौकिक कार्य

इसके बाद, ठाकुर जी ने सेठ का रूप धारण किया और नरसी मेहता की पत्नी से कहा:

“तुम्हारे पति ने कर्ज़ चुका दिया है, यह प्रमाणपत्र लो!”


जब नरसी मेहता ने राग केदार गाया और चमत्कार हुआ!

नरसी मेहता की पत्नी दौड़ते हुए मंदिर पहुंचीं और पर्ची उनके सामने रख दी।

अब नरसी मेहता ने अपने वाद्य यंत्र उठाए और जैसे ही राग केदार गाया, चमत्कार हुआ!

यह देखकर सभी परीक्षक स्तब्ध रह गए। वे नरसी मेहता के चरणों में गिर पड़े और बोले:

“हमें क्षमा करें! हमें आपकी भक्ति पर संदेह था।”  ( इसे भी पढे- सबरीमाला मंदिर के रहस्य: भगवान अयप्पा की कथा और 41 दिनों की कठिन तपस्या का महत्व )


निष्कर्ष: भक्ति से बढ़कर कुछ नहीं

यह कथा हमें यह सिखाती है कि सच्ची भक्ति में अपार शक्ति होती है।

अगर आपको यह कथा पसंद आई तो “जय श्री कृष्णा” कमेंट करें! 🙏


 

Exit mobile version