जब एक भक्त को राम जी ने जबरदस्ती खिलाया 56 भोग : श्री रामानंदाचार्य जी की अद्भुत भक्ति कथा
परिचय: श्री रामानंदाचार्य जी कौन थे?
भारत की भक्ति परंपरा में कई महान संत और आचार्य हुए हैं, जिन्होंने समाज को भगवान की भक्ति की ओर प्रेरित किया। उन्हीं में से एक महान संत श्री रामानंदाचार्य जी थे।
- वे रामानंद संप्रदाय के प्रवर्तक थे।
- उन्हें भगवान श्री राम का अवतार माना जाता है।
- उनकी भक्ति और उपदेशों ने संत कबीर, संत रविदास, पीपा जी, अनंतदास जी और अन्य महान संतों को प्रभावित किया।
- उन्होंने समाज में जात-पात का भेद मिटाकर राम भक्ति का प्रचार किया।
परंतु क्या सच में राम नाम में इतनी शक्ति है कि वह स्वयं भोजन भी करवा सकता है?
इस प्रश्न का उत्तर हमें श्री रामानंदाचार्य जी की एक चमत्कारी कथा में मिलता है, जिसे जानकर आपका मन भी भगवान राम की भक्ति में रम जाएगा।
जब श्री रामानंदाचार्य जी ने ली राम नाम की परीक्षा
1. जब प्रवचन में हुआ राम नाम का गुणगान
श्री रामानंदाचार्य जी जब युवा अवस्था में थे, तब एक दिन वे एक संत का प्रवचन सुन रहे थे। संत ने कहा—
“राम जी के भरोसे बैठ जाओ, वे स्वयं सब कुछ कर देंगे।”
यह सुनकर रामानंदाचार्य जी के मन में एक प्रश्न उठा—
“क्या सच में केवल राम नाम जपने से ही जीवन यापन हो सकता है?”
उन्होंने प्रवचनकर्ता संत से पूछा—
“क्या राम नाम रोटी भी खिला सकता है?”
संत ने भावावेश में उत्तर दिया—
“हाँ, यदि राम नाम में सच्ची श्रद्धा हो, तो भगवान स्वयं रोटी भी खिला सकते हैं!” ( इसे भी पढे और जाने- माँ शाकम्भरी देवी कौन हैं )
2. कठोर संकल्प: 24 घंटे में राम जी ने रोटी नहीं खिलाई, तो…
इस उत्तर ने रामानंदाचार्य जी के हृदय में एक गहरी भावना उत्पन्न कर दी।
उन्होंने गाँव के सभी लोगों को बुलाकर घोषणा की—
“मैं किसी अज्ञात स्थान पर जाऊँगा, बिना किसी तैयारी के। न रोटी, न धन, न अन्य सामग्री। मैं केवल राम नाम जपूँगा। यदि 24 घंटे के भीतर श्री राम ने मुझे भोजन नहीं करवाया, तो मैं यह सिद्ध कर दूँगा कि केवल राम नाम के भरोसे जीवन नहीं चल सकता।”
यह कहकर रामानंदाचार्य जी एक निर्जन स्थान पर चले गए और राम नाम के जाप में लीन हो गए।
जब राम नाम ने स्वयं रोटी खिलाई
1. एक वटवृक्ष के नीचे भक्ति में लीन हुए
रामानंदाचार्य जी एक बड़े वटवृक्ष के नीचे बैठ गए और राम-राम जपने लगे।
कुछ ही घंटों बाद, वहाँ कुछ तीर्थयात्री आए।
- वे पास की नदी में स्नान करके विश्राम करने लगे।
- उन्होंने अपने झोले से पूड़ी, सब्जी और मिठाइयाँ निकालीं और भोजन की तैयारी करने लगे।
तभी अचानक……. ( इसे भी पढे- सबरीमाला मंदिर के रहस्य: भगवान अयप्पा की कथा और 41 दिनों की कठिन तपस्या का महत्व )
2. जब डाकुओं ने किया हमला
तभी अचानक कुछ डाकू वहाँ आए और उन तीर्थयात्रियों को लूटने लगे।
- उनके धन, वस्त्र, दक्षिणा और ग्रंथ सब छीन लिए गए।
- जब डाकुओं ने देखा कि उनके पास भोजन भी है, तो वे लूटे गए भोजन को खाने बैठ गए।
लेकिन तभी, उनके सरदार को शक हुआ—
“यह भोजन कहीं विषैला तो नहीं?”
डाकुओं ने आसपास देखा और पेड़ पर रामानंदाचार्य जी को राम नाम जपते पाया।
3. जबरदस्ती भोजन करवाया
डाकू समझे कि यह कोई राजा का गुप्तचर है, जो उन्हें जाल में फँसाने आया है।
उन्होंने आदेश दिया—
“पहले इसे भोजन खिलाओ! अगर यह जीवित बच गया, तो हम भी खाएँगे।”
- रामानंदाचार्य जी के हाथ-पैर बाँध दिए गए।
- जबरदस्ती उनका मुँह खोला गया।
- पूड़ी, सब्जी, गुलाब जामुन, रायता—सब उनके मुँह में ठूँस दिया गया।
रामानंदाचार्य जी की आँखों में आँसू आ गए।
उन्होंने भावुक होकर कहा—
“राम नाम खिलाता नहीं, जबरदस्ती हाथ-पैर बाँधकर खिलाता है!”
डाकू यह देखकर चौंक गए और कुछ देर बाद जब देखा कि उन्हें कुछ नहीं हुआ, तो वे भी भोजन करने लगे।
4. जब डाकू बने भक्त
डाकुओं को अपनी भूल का अहसास हुआ।
उन्होंने रामानंदाचार्य जी से क्षमा माँगी और उनके चरणों में गिरकर बोले—
“हम तो लूटेरे थे, लेकिन आपने हमें राम नाम की असली शक्ति दिखा दी।”
डाकुओं ने अपने सारे पाप छोड़कर रामानंदाचार्य जी के शिष्य बन गए।
इस प्रकार, भगवान राम ने अपने भक्त को स्वयं भोजन कराया और रामानंदाचार्य जी ने अपना संपूर्ण जीवन राम भक्ति को समर्पित कर दिया।
🔱 निष्कर्ष: राम नाम की अद्भुत महिमा
श्री रामानंदाचार्य जी की इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है—
✅ सच्ची श्रद्धा हो तो भगवान स्वयं सहायता करते हैं।
✅ राम नाम में अपार शक्ति है, जो असंभव को संभव बना सकती है।
✅ ईश्वर कभी भी अपने भक्त को निराश नहीं करते।
यदि आप भी भगवान राम के भक्त हैं, तो “जय श्री राम” लिखकर अपनी श्रद्धा प्रकट करें!
🔱 FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. श्री रामानंदाचार्य जी कौन थे?
- वे रामानंद संप्रदाय के प्रवर्तक थे और संत कबीर, रविदास जैसे भक्तों के गुरु थे।
2. श्री रामानंदाचार्य जी को भगवान राम का अवतार क्यों माना जाता है?
- उनकी भक्ति, उपदेश और चमत्कारी घटनाओं से लोगों ने उन्हें श्री राम का अवतार माना।
3. क्या राम नाम जपने से सच में भोजन प्राप्त हो सकता है?
- हाँ, यदि आपकी भक्ति सच्ची और निःस्वार्थ है, तो भगवान आपकी सहायता अवश्य करेंगे।
4. इस कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
- श्रद्धा और समर्पण से भगवान स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।