माउंट एवरेस्ट से बहुत छोटा है ये पर्वत लेकिन फिर भी कोई क्यों नहीं चढ़ पाता है यहाँ : एक रहस्यमयी पहाड़
आखिर कैलाश पर्वत पर क्यों कोई आज तक चढ़ नहीं पाया है क्यों क्लाइंबर्स को यहां आते ही एक अजीब सी घबराहट होने लगती है यहां मौजूद दो अद्भुत झीलों का आखिर क्या रहस्य है क्या सच में यहां एक ऐसा डिवाइन बीइंग रहते हैं जिसकी पूजा चार धर्मों में की जाती है | कैलाश पर्वत जिसे कभी स्वर्ग की सीढ़ी भी कहा जाता है भले ही दुनिया का सबसे से ऊंचा पहाड़ ना हो पर तब भी इसके रहस्य इसकी ऊंचाई से कई गुना ज्यादा दिलचस्प है लगभग 7000 लोग माउंट एवरेस्ट पर चढ़ चुके हैं लेकिन कैलाश पर्वत जो एवरेस्ट से कई गुना छोटा है और टॉप 100 हाईएस्ट माउंटेंस के लिस्ट में भी नहीं आता है उसमें आज तक कोई भी नहीं चढ़ पाया | कैलाश पर्वत, जिसे ‘स्वर्ग की सीढ़ी’ भी कहा जाता है, केवल एक पहाड़ नहीं है बल्कि इसके साथ कई रहस्य, धर्म और मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। हिमालय के ऊंचे पर्वतों में स्थित यह पर्वत अपने धार्मिक महत्व और अद्भुत संरचना के कारण श्रद्धालुओं और शोधकर्ताओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आइए, इस लेख में हम कैलाश पर्वत से जुड़ी हर जानकारी का विश्लेषण करें, जिसमें इसकी धार्मिक मान्यता, वैज्ञानिक थ्योरी, रहस्यमयी घटनाएं और आसपास की झीलों का महत्व शामिल है।
1. कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व
कैलाश पर्वत हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों में अत्यधिक पवित्र माना जाता है।
- हिंदू धर्म: यहां भगवान शिव का वास माना जाता है, जिन्हें सृष्टि का विनाशक और पुनर्निर्माणकर्ता कहा जाता है। पर्वत की चोटी पर शिव-पार्वती का निवास स्थान माना जाता है, और इसे साक्षात कैलाशपति का आवास कहा गया है।
- बौद्ध धर्म: यहां भगवान बुद्ध का पुनर्जन्म स्थल बताया जाता है और इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
- जैन धर्म: मान्यता है कि यह ऋषभदेव का निर्वाण स्थल है।
- बोन धर्म: यह तिब्बती धर्म भी इसे पवित्र मानता है और इसके चारों ओर यात्रा करना पुण्यदायी माना जाता है। ( इसे अवश्य पड़े और जाने माँ के बारे में – माँ शाकम्भरी कौन हैं ? )
2. कैलाश पर्वत की अद्भुत संरचना
कैलाश पर्वत की आकृति बहुत विशेष है। यह एक पिरामिड जैसी संरचना है, जो सीधे तौर पर पृथ्वी के केंद्र में स्थित है। इसके चार दिशाओं में चार प्रमुख नदियां – सिंधु, सतलज, ब्रह्मपुत्र और करनाली बहती हैं, जो इसे चारों दिशाओं का केंद्र बनाती हैं। यह बात इसे धरती का “नाभि स्थान” भी बनाती है।
3. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कैलाश पर्वत
विज्ञान ने कैलाश पर्वत की आकृति और इसकी रहस्यमयी घटनाओं को समझने के लिए कई सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं।
- पिरामिडल आकार: वैज्ञानिक मानते हैं कि कैलाश पर्वत का आकार प्राकृतिक घटनाओं के कारण बना है। यह पिरामिडल आकार ग्लेशियर की गतिविधियों और भौगोलिक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हुआ है।
- टाइम डिले थ्योरी: कहा जाता है कि कैलाश पर्वत पर चढ़ाई करने वाले लोगों ने उम्र बढ़ने का अनुभव किया है। वैज्ञानिक इसे “टाइम डिले” सिद्धांत से जोड़ते हैं, जिसमें ऊंचाई पर समय का प्रवाह धीमा हो जाता है।
- मैग्नेटिक फील्ड: पर्वत के चारों ओर एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र है, जिसके कारण कम्पास की सुई दिशा बदल लेती है। यह घटना अब तक किसी स्पष्ट वैज्ञानिक स्पष्टीकरण के बिना है।
4. रहस्यमयी घटनाएं और अद्भुत मान्यताएं
कैलाश पर्वत पर कई चढ़ाई करने वालों ने रहस्यमयी अनुभव किए हैं, जिनमें:
- तेजी से उम्र बढ़ना: कुछ पर्वतारोही, जिन्होंने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई का प्रयास किया, उनकी बॉडी और बाल तेजी से उम्र बढ़ते देखे गए। इसे टाइम डिस्टॉर्शन की घटना से जोड़ा गया है।
- रास्ते में भटकना: पर्वत के पास जाते ही लोगों को असामान्य घबराहट महसूस होती है, जिससे उनका रास्ता भटकने का खतरा होता है।
- अद्भुत आवाजें: कई लोगों ने कैलाश पर्वत के आसपास अद्भुत आवाजें सुनी हैं, जिन्हें आज तक कोई वैज्ञानिक स्पष्ट नहीं कर पाया है।
5. मानसरोवर और राक्षस ताल का रहस्य
कैलाश पर्वत के पास दो प्रमुख झीलें हैं – मानसरोवर और राक्षस ताल, जिनके गुण और आकार बिलकुल अलग हैं।
- मानसरोवर झील: इसे ताजे पानी की झील माना जाता है। यह पूर्ण रूप से गोलाकार है और गर्मियों में भी ठंडी रहती है। इसे हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना गया है।
- राक्षस ताल: यह झील खारे पानी की है और यहां कोई जीवन नहीं है। इसकी आकृति अर्धचंद्राकार है और इसे तिब्बती परंपरा में राक्षसों की झील माना जाता है।
6. माउंट कैलाश पर चढ़ाई क्यों संभव नहीं?
माउंट एवरेस्ट से छोटी होने के बावजूद कैलाश पर्वत पर आज तक कोई सफलतापूर्वक चढ़ाई नहीं कर सका। इसका कारण:
- अचानक बदलता मौसम: पर्वत पर चढ़ने के दौरान मौसम तेजी से बदल जाता है, जिससे पर्वतारोहियों को रास्ता भटकने का खतरा रहता है।
- धार्मिक आस्था: कई लोग इसे शिवजी का निवास स्थान मानकर इसके शिखर तक पहुंचने का प्रयास नहीं करते। कई धर्मों में यह भी माना जाता है कि जो यहां चढ़ाई का प्रयास करेगा, उसे अनहोनी का सामना करना पड़ेगा।
7. अन्य मान्यताएं और थ्योरीज़
कुछ लोग मानते हैं कि कैलाश पर्वत एक अलौकिक संरचना हो सकती है, जिसे किसी प्राचीन सभ्यता ने बनाया था। इसके अतिरिक्त, कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह पर्वत एक पिरामिड या स्पेसक्राफ्ट का रूप हो सकता है, जो अत्यधिक उन्नत तकनीक से संरक्षित है।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
प्रश्न 1: कैलाश पर्वत पर चढ़ाई क्यों संभव नहीं है?
उत्तर: धार्मिक मान्यता और कठोर भौगोलिक स्थितियों के कारण आज तक कोई भी कैलाश पर्वत की चोटी पर नहीं चढ़ सका है। इसके अलावा, मौसम की अचानक बदलती स्थिति और अजीबोगरीब घटनाओं के कारण भी चढ़ाई का प्रयास नहीं किया गया।
प्रश्न 2: कैलाश पर्वत का धार्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: कैलाश पर्वत को हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। इसके साथ ही बौद्ध, जैन और बोन धर्मों में भी इसे पवित्र माना गया है।
प्रश्न 3: मानसरोवर और राक्षस ताल में क्या अंतर है?
उत्तर: मानसरोवर झील ताजे पानी की है और इसे पवित्र माना जाता है, जबकि राक्षस ताल खारे पानी की है और इसमें कोई जलजीव नहीं मिलता। मानसरोवर शांत और गोलाकार है, जबकि राक्षस ताल का आकार अर्धचंद्राकार है।
प्रश्न 4: क्या कैलाश पर्वत का आकार प्राकृतिक है?
उत्तर: हां, वैज्ञानिक मानते हैं कि इसका पिरामिडल आकार प्राकृतिक घटनाओं और ग्लेशियर की गतिविधियों के परिणामस्वरूप बना है।
प्रश्न 5: कैलाश पर्वत के पास कम्पास क्यों काम नहीं करता?
उत्तर: कैलाश पर्वत के पास चुम्बकीय क्षेत्र अत्यधिक मजबूत है, जिसके कारण कम्पास की सुई गोल-गोल घूमती रहती है।
इस प्रकार, कैलाश पर्वत की महत्ता और रहस्य इसे दुनिया के सबसे अद्भुत स्थानों में से एक बनाते हैं। चाहे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें या धार्मिक, कैलाश पर्वत की महिमा और अद्वितीयता सभी के लिए एक पहेली ही बनी हुई है।
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