अघोरी साधुओं का रहस्यमय जीवन: स्मशान साधना, शव भक्षण और अलौकिक शक्तियां

अघोरी साधुओं का रहस्यमय जीवन: जीवन और मृत्यु के बीच का सफर


परिचय: अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया

अघोरी साधुओं का नाम सुनते ही मन में एक रहस्यमय छवि उभरती है। राख से सना शरीर, गले में मानव खोपड़ियों की माला, हाथ में कपाल (खोपड़ी), और आंखों में अद्भुत तेज। ये साधु उन स्थलों पर साधना करते हैं, जहां आम लोग जाने से भी डरते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अघोरी साधु शवों का मांस क्यों खाते हैं, और स्मशान में साधना क्यों करते हैं? इस लेख में हम अघोरी साधुओं के रहस्यमय जीवन और उनकी साधनाओं के गूढ़ पहलुओं को विस्तार से समझेंगे।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी साधु कौन हैं?

अघोरी साधु भगवान शिव के उग्र रूप भैरव और माता काली के उपासक होते हैं।

  • अघोरी का अर्थ:
    संस्कृत में “अघोरी” का अर्थ है “अघ (पाप) से मुक्त होने वाला।”
  • अघोरी साधुओं का उद्देश्य:
    जीवन और मृत्यु के भेद को मिटाकर मोक्ष प्राप्त करना।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी साधुओं की साधनाएं और तांत्रिक अनुष्ठान

शव भक्षण का रहस्य

अघोरी साधु उन वस्तुओं को भी ग्रहण करते हैं जिन्हें समाज अपवित्र मानता है।

  • शवों का मांस खाना उनके लिए शिव और शक्ति की साधना का प्रतीक है।
  • वे मानते हैं कि हर वस्तु शिव का ही रूप है, चाहे वह शव हो या अपशिष्ट।

स्मशान साधना का महत्व

स्मशान घाट अघोरियों का मुख्य साधना स्थल होता है।

  • राख का उपयोग:
    वे अपने शरीर पर स्मशान की राख लगाते हैं, जिसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
  • स्मशान में अनुष्ठान:
    शवों के साथ तांत्रिक साधना, कपाल पूजा, और तंत्र मंत्र के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने का प्रयास।

यौन साधना का रहस्य

अघोरी साधु यौन संबंधों को भी अपनी साधना का हिस्सा मानते हैं।

  • शव के साथ यौन संबंध:
    यह शिव और शक्ति के मिलन का प्रतीक है।
  • मासिक धर्म के दौरान संबंध:
    यह शक्ति जागरण का साधन माना जाता है।

    • उनका मानना है कि इस दौरान ध्यान को शिव में स्थिर रख पाना साधना का सर्वोच्च स्तर है।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी साधु बनने की प्रक्रिया

अघोरी बनने की कठिन यात्रा

अघोरी साधु बनने के लिए साधक को जीवन की हर मोह-माया और रिश्तों को त्यागना होता है।  इसे भी जाने – मां शाकंभरी के पावन शक्तिपीठ और उससे जुड़ी पौराणिक कथा )

  • पिंडदान:
    जीते जी अपना श्राद्ध करवाकर इस संसार से खुद को मुक्त करना।
  • गुरु की खोज:
    बाबा काल भैरव को अपना गुरु मानना।
  • 12 साल की साधना:
    एक गुप्त मंत्र का 12 वर्षों तक जाप करना।

अघोरी साधु की साधनाएं

  1. शव साधना:
    शव को मांस और मदिरा का भोग लगाकर ध्यान करना।

    • इस साधना के दौरान माना जाता है कि मुर्दा बोल उठता है।
  2. शिव साधना:
    शिव की तरह शव पर खड़े होकर ध्यान करना।
  3. स्मशान साधना:
    शव पीठ की पूजा और तंत्र मंत्र के माध्यम से अलौकिक शक्तियां प्राप्त करना।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी साधुओं की शक्तियां और सिद्धियां

अलौकिक शक्तियां

अघोरी साधु अपनी साधनाओं के माध्यम से अद्भुत सिद्धियां प्राप्त करते हैं:

  1. इच्छित अवत शक्ति: दूसरों की इच्छाओं को पूरा करना।
  2. याच शक्ति: अपनी इच्छाओं को पूर्ण करना।
  3. श्रवण शक्ति: अदृश्य ध्वनियों को सुनना।
  4. प्रवेश अवती शक्ति: भूत, वर्तमान और भविष्य देखना।
  5. स्वाम्य शक्ति: मन और इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी साधुओं के प्रमुख साधना स्थल

  1. मणिकर्णिका घाट, वाराणसी:
    • इसे अघोरियों का मुख्य साधना स्थल माना जाता है।
  2. कामाख्या मंदिर, असम:
    • यहां देवी सती का अंग गिरा था।
  3. तारापीठ, पश्चिम बंगाल:
    • देवी काली के उपासकों का प्रमुख स्थान।
  4. हिंगलाज धाम, बलूचिस्तान:

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


अघोरी और नागा साधुओं के बीच अंतर

विशेषता अघोरी साधु नागा साधु
साधना स्थल स्मशान घाट गुफाएं और हिमालय।
भोजन शव का मांस शाकाहारी या मांसाहारी।
वस्त्र जानवरों की खाल नंगे रहते हैं।
ब्रह्मचर्य पालन नहीं करते सख्ती से पालन करते हैं।
साधना का उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति और तंत्र सिद्धियां धर्म की रक्षा।

अघोरी साधुओं का अंतिम संस्कार

अघोरी साधुओं का अंतिम संस्कार भी उनके जीवन की तरह रहस्यमय होता है।  इसे भी जरूर से जाने – मिला रेपा: तांत्रिक से संत बनने की अद्भुत यात्रा )

  • शव को जलाना:
    उनका शव स्मशान घाट में जलाया जाता है।
  • गंगा में प्रवाह:
    कई अघोरी अपनी देह को गंगा में प्रवाहित करने की इच्छा रखते हैं।

अघोरी परंपरा का इतिहास

अघोरी परंपरा का आरंभ

  • अघोरी साधुओं की परंपरा भगवान शिव से प्रेरित है।
  • उनका इतिहास कापालिक और कालामुख तांत्रिक संप्रदायों से जुड़ा है।

बाबा कीनाराम: अघोरी परंपरा के संस्थापक

  • बाबा कीनाराम का जन्म 17वीं शताब्दी में हुआ।
  • उन्होंने वाराणसी के क्रीं-कुंड आश्रम की स्थापना की।
  • माना जाता है कि वे 150 वर्षों तक जीवित रहे।

अघोरी साधुओं की अनोखी दुनिया


निष्कर्ष: अघोरी साधुओं का संदेश

अघोरी साधुओं का जीवन और साधना एक ऐसा मार्ग है जो हमें जीवन और मृत्यु के भेद से ऊपर उठकर मोक्ष प्राप्ति की प्रेरणा देता है। उनका संदेश है कि हर वस्तु शिव का अंश है और घृणा और मोह-माया से मुक्त होकर ही आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

Leave a Reply