करणी माता मंदिर:
एक दिव्य स्थल जहाँ आस्था, इतिहास, और चमत्कार आपस में मिलते हैं।
परिचय: करणी माता और करणी माता मंदिर का महत्व
बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर अपनी अनोखी मान्यताओं और 25,000 चूहों की उपस्थिति के लिए प्रसिद्ध है। करणी माता को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है, और इस मंदिर में काले और सफेद चूहे (काबा) श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय हैं। माना जाता है कि ये चूहे माता की संतान के रूप में जन्मे हैं और मंदिर में भक्तों को इनका झूठा प्रसाद दिया जाता है।
करणी माता का इतिहास और चमत्कारी जीवन
करणी माता का जन्म 20 सितंबर 1387 को जोधपुर के चारण कुल में हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई चमत्कार किए और जोधपुर एवं बीकानेर रियासतों की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका मुख्य उद्देश्य समाज में सामाजिक समरसता और पशुओं की रक्षा करना था। उन्होंने देशनोक में 10,000 बीघा भूमि को ‘ओरण’ (पशु चराई क्षेत्र) के रूप में संरक्षित किया था। उनके आशीर्वाद से ही राव बीका ने बीकानेर की स्थापना की।
मंदिर की वास्तुकला: भव्यता और मुगल शैली का संगम
मंदिर का निर्माण बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह ने 20वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर की पूरी संरचना संगमरमर से बनी है और इसमें मुगल वास्तुकला की झलक देखने को मिलती है। चांदी के दरवाजे और सोने के छत्र इस मंदिर की शोभा बढ़ाते हैं। गर्भगृह में करणी माता की मूर्ति त्रिशूल धारण किए हुए विराजमान है, और उनकी बहनों की मूर्तियाँ भी दोनों ओर स्थापित हैं।
चूहों की रहस्यमयी उपस्थिति और आस्था
मंदिर में मौजूद लगभग 25,000 चूहों को माता की संतानों का रूप माना जाता है। सफेद चूहे को तो विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, क्योंकि उसे करणी माता का अवतार माना जाता है। चूहों की उपस्थिति के कारण यहाँ एक अद्भुत प्रथा है—भक्त चूहों का झूठा प्रसाद ग्रहण करते हैं। मान्यता है कि चूहों को मारना यहाँ पाप है, और यदि कोई गलती से ऐसा कर दे, तो उसे सोने का चूहा दान करना पड़ता है। मंदिर में लोग पैर घसीटकर चलते हैं ताकि कोई चूहा कुचला न जाए।
मंगला आरती और वार्षिक मेले का विशेष आकर्षण
हर दिन सुबह 5 बजे मंगला आरती के दौरान चूहे अपने बिलों से बाहर आकर मंदिर प्रांगण में घूमते हैं। यह दृश्य अत्यंत दुर्लभ और रोमांचक होता है। इसके अलावा, नवरात्रि के समय यहाँ विशेष भव्य मेला लगता है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु देवी के दर्शन और चूहों के आशीर्वाद के लिए मंदिर आते हैं।
कैसे पहुंचे करणी माता मंदिर?
- फ्लाइट से:
जोधपुर हवाई अड्डा बीकानेर का निकटतम एयरपोर्ट है, जो 220 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से टैक्सी लेकर देशनोक पहुंच सकते हैं। - ट्रेन से:
बीकानेर रेलवे स्टेशन से देशनोक 30 किमी दूर है। बीकानेर रेलवे स्टेशन दिल्ली, जयपुर, और कोलकाता जैसे शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। ‘पैलेस ऑन व्हील्स’ जैसी लग्जरी ट्रेनें भी बीकानेर में रुकती हैं।
करणी माता से जुड़ी प्रमुख कहानियाँ
मंदिर से जुड़ी सबसे प्रसिद्ध कहानी करणी माता के सौतेले पुत्र लक्ष्मण की है। कथा के अनुसार, लक्ष्मण की मृत्यु कपिल सरोवर में डूबने से हो गई थी। करणी माता ने यमराज से प्रार्थना की, जिसके फलस्वरूप लक्ष्मण को चूहे के रूप में पुनर्जीवित किया गया। इसी कारण यह मंदिर चूहों से भरा है, जो माता की कृपा से आज भी यहाँ सुरक्षित रहते हैं।
मंदिर से जुड़े रिवाज और चमत्कार
इस मंदिर की अनोखी विशेषता यह है कि यहाँ कभी किसी को चूहों के झूठे प्रसाद से बीमार होने की खबर नहीं मिली है। भक्तजन यहाँ दूध और मिठाइयाँ चढ़ाते हैं, जिसे चूहे बड़े प्रेम से ग्रहण करते हैं। सफेद चूहा दिखना अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे माता का विशेष आशीर्वाद समझा जाता है।
निष्कर्ष: आस्था और चमत्कार का संगम
करणी माता मंदिर आस्था, चमत्कार और अनोखी प्रथाओं का ऐसा संगम है, जो भारत में कहीं और देखने को नहीं मिलता। यहाँ आकर भक्तजन न केवल देवी करणी माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, बल्कि एक अद्भुत अनुभव भी प्राप्त करते हैं। यदि आप राजस्थान में हैं, तो इस मंदिर की यात्रा अवश्य करें और माता की कृपा प्राप्त करें।