ये कोई पूजा कोई त्योहार नहीं बल्कि लोगों के भाव है – छठ पूजा

ये कोई पूजा कोई त्योहार नहीं बल्कि लोगों के भाव है – छठ पूजा

भारत के सांस्कृतिक त्योहारों में छठ पूजा एक विशेष स्थान रखता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और पारिवारिक समर्पण का भी प्रतीक है। विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में इसे बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना के इस पर्व में लोग अपने गांव, घर और परिजनों के पास लौटते हैं, भले ही इसके लिए लंबी और कठिन यात्रा करनी पड़े। इस लेख में हम छठ पूजा का सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत करेंगे, जिसमें इसका महत्व, इतिहास, पौराणिक कथा, चार दिवसीय अनुष्ठान, और इसके पीछे का वैज्ञानिक दृष्टिकोण शामिल है।

छठ पूजा का महत्व


1. छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा एक प्रकृति पूजा है, जिसमें सूर्य देवता और छठी मैया का आह्वान किया जाता है। इस पर्व का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत उन्नति बल्कि परिवार और समाज की समृद्धि के लिए प्रार्थना करना भी है।

छठ पूजा को ‘सूर्य षष्ठी’ भी कहा जाता है, क्योंकि इसे कार्तिक शुक्ल पक्ष के छठे दिन मनाया जाता है। सूर्य देवता जीवनदायिनी ऊर्जा और शक्ति के स्रोत माने जाते हैं, और उनकी पूजा से स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना की जाती है। इसके अतिरिक्त, छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठानों में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाने की प्रेरणा भी शामिल है।


2. छठ पूजा का इतिहास और उद्गम

छठ पूजा का उल्लेख महाभारत काल से मिलता है। कहा जाता है कि सबसे पहले कर्ण ने सूर्य देवता की पूजा की थी और इसी के परिणामस्वरूप वे एक महान योद्धा बने। साथ ही, ऋषि-मुनि इस पूजा का आयोजन नदियों और जलस्रोतों के किनारे किया करते थे ताकि लोगों में जल और प्राकृतिक तत्वों के प्रति आस्था और श्रद्धा बढ़ सके।


3. छठ पूजा की पौराणिक कथा

राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी की कथा

राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी की कथा छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी है। उनके पास संतान नहीं थी, और संतान प्राप्ति की कामना के साथ उन्होंने कई देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना की। एक बार रानी ने मृत संतान को जन्म दिया, जिसके बाद राजा ने आत्महत्या करने का निर्णय लिया। लेकिन तभी छठी मैया प्रकट हुईं और उन्होंने राजा से विधिवत पूजा करने का आशीर्वाद दिया। उनकी पूजा से राजा को एक तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ। तब से छठ पूजा का प्रचलन आरम्भ हुआ।


4. छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान

पहला दिन: नहाय-खाय

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन व्रती गंगा या किसी पवित्र जलाशय में स्नान कर स्वयं को शुद्ध करते हैं। इसके बाद व्रती शुद्ध भोजन करते हैं, जिसमें विशेष रूप से कद्दू, चना दाल और चावल शामिल होते हैं।

दूसरा दिन: खरना

खरना का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास करते हैं और शाम को सूर्य देवता को भोग अर्पित करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं। खरना के प्रसाद में विशेष रूप से गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोग होता है, जिसे बहुत ही पवित्र माना जाता है।

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

तीसरे दिन व्रती निर्जला उपवास रखते हैं और संध्या समय सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करते हैं। यह पूजा नदियों, तालाबों, या किसी जल स्रोत के किनारे की जाती है। व्रती सूर्यास्त के समय जल में खड़े होकर सूर्य देवता को फल, ठेकुआ और गन्ना का अर्घ्य अर्पित करते हैं।

चौथा दिन: उषा अर्घ्य

चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले ही व्रती जल में खड़े होकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद व्रत का समापन होता है और व्रती अन्न ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा का महत्व


5. छठ पूजा में प्रयुक्त सामग्री

  • ठेकुआ: गेहूं के आटे से बना एक विशेष मिठाई जो छठ पूजा के प्रसाद के रूप में अर्पित की जाती है।
  • फल: नारियल, केला, सेब आदि, जो व्रती सूर्य देवता को अर्पित करते हैं।
  • गन्ना: छठ पूजा में गन्ना का विशेष महत्व होता है।
  • दीपक: हर विधि में दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध किया जाता है।

6. छठ पूजा के नियम और मान्यताएँ

छठ पूजा के अनुष्ठानों में विशेष नियमों का पालन किया जाता है। व्रती को एकदम शुद्ध वस्त्र धारण करने होते हैं और पूरे व्रत में शुद्धता बनाए रखनी होती है। इस पूजा में मूर्ति पूजा नहीं होती, बल्कि प्राकृतिक तत्वों जैसे जल, सूर्य और वायु की पूजा की जाती है।

छठ पूजा का महत्व


7. छठ पूजा में महिलाओं की भूमिका

छठ पूजा में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस पूजा के प्रसाद बनाने से लेकर विधि-विधान के सभी अनुष्ठान महिलाओं द्वारा ही किए जाते हैं। कोसी भरना नामक एक अनुष्ठान विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है, जिसमें वे रात भर जागकर दीप जलाती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।


8. छठ पूजा के वैज्ञानिक लाभ

छठ पूजा के दौरान व्रती 36 घंटों का निर्जला व्रत रखते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह उपवास शरीर की शुद्धि और मानसिक संतुलन के लिए लाभकारी होता है। 2023 में नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के शोध के अनुसार, लंबे समय तक उपवास करने से ब्लड शुगर का स्तर संतुलित रहता है, वज़न प्रबंधन में मदद मिलती है और पाचन तंत्र भी स्वस्थ रहता है।


9. छठ पूजा का सामाजिक महत्व

छठ पूजा एक ऐसा पर्व है जो परिवार और समाज को जोड़ने का कार्य करता है। इस अवसर पर प्रवासी लोग भी अपने गांव लौटते हैं और अपने परिवार के साथ त्योहार मनाते हैं। इस प्रकार छठ पूजा सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को भी बढ़ावा देती है।


10. छठ पूजा और प्रवासियों की वापसी

छठ पूजा के अवसर पर प्रवासी लोग बड़ी संख्या में अपने गांव लौटते हैं। खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश के लोग इस अवसर पर अपने परिजनों के साथ जुड़ने के लिए शहरों से गांव की ओर रुख करते हैं। यह त्योहार उन प्रवासी लोगों के लिए एक अवसर है कि वे अपने रूट्स से जुड़ सकें।


11. छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व

छठ पूजा का आध्यात्मिक महत्व यह है कि इसमें हर क्रिया प्रकृति के साथ जुड़ी होती है। इस पूजा में भक्ति, त्याग और अनुशासन का समन्वय होता है जो व्यक्ति के आत्मशुद्धि और अध्यात्मिक उन्नति में सहायक होते हैं।


12. छठ पूजा के गीत और संस्कृति

छठ पूजा के दौरान गाए जाने वाले गीत लोक-संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इन गीतों में भक्ति और आस्था का भाव होता है, जो परंपरा को जीवंत बनाए रखते हैं। छठ गीतों के माध्यम से लोग अपने भावनाओं को व्यक्त करते हैं और भगवान सूर्य से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। ( इसे भी पढे- क्यों गरीब माने जाते हैं तिरुपति बालाजी महाराज )


निष्कर्ष

छठ पूजा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह प्रकृति और समाज के प्रति हमारी श्रद्धा का प्रतीक है। यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है और परिवार व समाज के बीच का अटूट बंधन बनाए रखता है। छठ पूजा का उद्देश्य न केवल व्यक्तिगत कल्याण है बल्कि सम्पूर्ण मानवता और सृष्टि के प्रति आभार प्रकट करना भी है।


FAQs

1. छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? छठ पूजा सूर्य देवता और छठी मैया की आराधना के लिए मनाई जाती है, जिसमें स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान प्राप्ति की कामना की जाती है।

2. छठ पूजा कितने दिनों तक चलती है? छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसमें प्रत्येक दिन का एक विशिष्ट महत्व होता है।

3. छठ पूजा में कौन-कौन से प्रसाद चढ़ाए जाते हैं? छठ पूजा में विशेष प्रसादों में ठेकुआ, फल, गन्ना और दीपक का भोग चढ़ाया जाता है।

4. छठ पूजा में कौन-कौन से अनुष्ठान किए जाते हैं? छठ पूजा के मुख्य अनुष्ठानों में नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल हैं।

5. छठ पूजा का वैज्ञानिक महत्व क्या है? छठ पूजा का 36 घंटों का उपवास शरीर को शुद्ध करता है, ब्लड शुगर नियंत्रित करता है, और शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायक होता है।

 

Leave a Reply