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भगवान विष्णु: सृष्टि के पालनहार और उनके अद्भुत गाथाओं की रहस्यमयी कथा

भगवान विष्णु: सृष्टि के पालनहार और उनके अद्भुत गाथाओं की रहस्यमयी कथा

भगवान विष्णु: सृष्टि के पालनहार और उनके अद्भुत गाथाओं की रहस्यमयी कथा

परिचय

सनातन धर्म में भगवान विष्णु का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे सृष्टि के पालनहार हैं और त्रिमूर्ति के सदस्य के रूप में ब्रह्मा और महेश (शिव) के साथ सृष्टि के संचालन का दायित्व निभाते हैं। भगवान विष्णु की कथाएं हमें केवल आध्यात्मिक प्रेरणा ही नहीं देतीं, बल्कि यह भी सिखाती हैं कि सृष्टि के संतुलन और मानवता की भलाई के लिए किस प्रकार काम किया जाना चाहिए।

भगवान विष्णु का स्वरूप, उनके वाहन गरुण, उनका आसन शेषनाग, और उनके दस अवतारों की कहानियां हमें ब्रह्मांड की संरचना और इसके गहरे रहस्यों को समझने का अवसर प्रदान करती हैं। आइए, इस कथा को विस्तार से समझें।


भगवान का अर्थ और उनका महत्व

“भगवान” शब्द का अर्थ केवल ईश्वर नहीं है, बल्कि यह सृष्टि के पांच तत्वों को नियंत्रित करने की क्षमता को दर्शाता है।

जो इन पांचों तत्वों को नियंत्रित कर सकता है, वही “भगवान” कहलाता है। भगवान विष्णु इन तत्वों का संचालन करते हैं और सृष्टि को विनाश से बचाते हैं।

त्रिमूर्ति का कार्य विभाजन

त्रिमूर्ति के तीनों देवता सृष्टि के विभिन्न पहलुओं का संचालन करते हैं:

यह विभाजन सृष्टि के संचालन में संतुलन बनाए रखने के लिए है।


भगवान विष्णु का स्वरूप और प्रतीक

भगवान विष्णु को शेषनाग पर लेटे हुए और उनके चरणों में लक्ष्मी जी के साथ चित्रित किया जाता है। उनका स्वरूप उनके गुणों और कार्यों का प्रतीक है:

शेषनाग और गरुण जैसे प्रतीक उनकी महिमा को और अधिक बढ़ाते हैं।  इसे भी पढे- मां शाकंभरी देवी की परम आनंदमयी कथा )


शेषनाग: विष्णु के आसन और सृष्टि का शेष

शेषनाग, जो बहु-मुखी सर्प हैं, भगवान विष्णु का आसन हैं।


गरुण: विष्णु के वाहन की अद्भुत कथा

गरुण का विष्णु के वाहन बनने का प्रसंग अद्भुत और प्रेरणादायक है। यह कथा हमें न केवल गरुण की शक्ति और साहस का परिचय देती है, बल्कि उनकी भक्ति और समर्पण को भी दर्शाती है।

विनता और कद्रू की कथा

ऋषि कश्यप की दो पत्नियां थीं:

जल्दबाजी का परिणाम

विनता ने अधीर होकर एक अंडा समय से पहले फोड़ दिया।

गरुण और अमृत कलश की गाथा

गरुण ने देखा कि उनकी मां विनता, कद्रू और उनके सर्प पुत्रों की दासी बन गई हैं।

विष्णु और गरुण का मिलन

भगवान विष्णु ने गरुण की भक्ति और साहस को देखकर उन्हें अपना वाहन बनने का प्रस्ताव दिया।


चार युग और विष्णु के दस अवतार

भगवान विष्णु के दस अवतार सृष्टि के चार युगों में विभाजित हैं।

चार युग और उनके अवतार:

  1. सतयुग (चार अवतार):
    • मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह।
  2. त्रेतायुग (तीन अवतार):
    • वामन, परशुराम, राम।
  3. द्वापरयुग (दो अवतार):
    • कृष्ण, बलराम।
  4. कलियुग (एक अवतार):
    • कल्कि (अभी प्रकट होना शेष)।

इन अवतारों का उद्देश्य सृष्टि में धर्म की स्थापना और अधर्म का नाश करना है।


विष्णु जी से मिलने वाली शिक्षाएं

भगवान विष्णु की कथाएं हमें कई मूल्यवान सबक सिखाती हैं:

  1. धैर्य और संतुलन: विष्णु जी सिखाते हैं कि हर परिस्थिति में संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
  2. कर्तव्यपालन: उन्होंने हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन किया।
  3. समर्पण और भक्ति: उनकी कथाएं हमें अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित रहना सिखाती हैं।   इसे भी जरूर से जाने – मिला रेपा: तांत्रिक से संत बनने की अद्भुत यात्रा )

महत्वपूर्ण FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

  1. भगवान विष्णु कौन हैं?
    भगवान विष्णु सनातन धर्म के पालनहार हैं, जो सृष्टि का संरक्षण करते हैं।
  2. गरुण विष्णु के वाहन कैसे बने?
    गरुण ने अपनी मां को मुक्त कराने के लिए विष्णु जी से अमृत कलश की रक्षा का वादा किया और उनके वाहन बने।
  3. शेषनाग का क्या महत्व है?
    शेषनाग सृष्टि के अंत के बाद भी शेष रहते हैं और भगवान विष्णु के संरक्षण में हैं।
  4. विष्णु के दस अवतार कौन-कौन से हैं?
    मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि।
  5. विष्णु जी के प्रतीक क्या हैं?
    शंख, चक्र, गदा और कमल।
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